सूर्य (Sun) में हो रहीं घटनाएं वैज्ञानिकों को आश्चर्य में डाल रही हैं। क्योंकि हमारा सूर्य अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है और बहुत अधिक एक्टिव फेज में है। इस कारण कभी सोलर फ्लेयर्स निकलते हैं तो कभी होता है कोरोनल मास इजेक्शन (CME)। सूर्य से समय-समय पर प्लाज्मा भी निकलते हैं। यह सूर्य की सतह से उठते हैं और अंतरिक्ष में हजारों किलोमीटर तक ऊपर जाते हैं। हालांकि यह सूर्य की सतह से जुड़े रहते हैं। सूर्य से प्लाज्मा के ऊपर उठने की तस्वीर को एक एस्ट्रोफोटोग्राफर ने कैमरे में कैद किया है।
बताया जा रहा है कि सूर्य के दक्षिणी ध्रुव के पास एक सौर प्लाज्मा उठा, जिसकी तस्वीर एक एस्ट्रोफोटोग्राफर ने कैद कर ली। रिपोर्टों के अनुसार, अर्जेंटीना के रहने वाले एडुआर्डो शाबर्गर पॉपेउ (Eduardo Schaberger Poupeau) ने स्पेशलाइज्ड कैमरा इक्विपमेंट की मदद से 9 मार्च को सौर प्लाज्मा की तस्वीर कैमरे में कैद की। इससे पूर्व ऐसी ही एक घटना में सूर्य से निकला प्लाज्मा उसकी सतह से अलग होकर अंतरिक्ष में चला गया था।
Spaceweather.com ने पॉपेउ के हवाले से लिखा है कि सौर प्लाज्मा लगभग एक लाख किलोमीटर तक सूर्य की सतह से ऊपर उठ गया। तस्वीर देखकर ऐसा लगता है कि सूर्य पर कोई दीवार खड़ी कर दी गई हो। यह कितना ऊंचा था, इसे ऐसे समझा जा सकता है कि एक के ऊपर एक 8 पृथ्वी रख दी जाएं। रिपोर्ट में पॉपेउ के हवाले से लिखा गया है कि उनकी कंप्यूटर स्क्रीन पर ऐसा लग रहा था कि प्लाज्मा के हजारों धागे उस दीवार नुमा तस्वीर से नीचे लटक रहे थे।
रिपोर्ट में लिखा गया है कि सूर्य में इस तरह की घटना को पोलर क्राउन प्रोमिनेंस (पीसीपी) के रूप में जाना जाता है। ये सोलर प्रोमिनेंस की तरह ही होते हैं और प्लाज्मा या आयोनाइज्ड गैसों को सौर सतह से बाहर ले जाते हैं। ये अंतरिक्ष में नहीं जा पाते, क्योंकि ध्रुवों पर चुंबकीय क्षेत्र बहुत मजबूत होता है और सूर्य की सतह वापस इन्हें अपनी ओर खींच लेती है। नासा के अनुसार, इन घटनाओं को प्यार से ‘प्लाज्मा वॉटरफॉल्स' भी कहा जाता है।
नासा के अनुसार, पीसीपी की घटनाएं सूर्य में आम हैं, लेकिन जो तस्वीर ली गई है, वह दुर्लभ है। एक सवाल जो पूछा जाता है कि इन घटनाओं का पृथ्वी पर क्या असर हो सकता है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी के अनुसार, सौर प्लाज्मा पृथ्वी के लिए कोई खतरा नहीं होते हैं। हालांकि इनके असर ने निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन से पृथ्वी पर भू चुंबकीय गड़बड़ी हो सकती है। उपग्रहों को नुकसान पहुंच सकता है। पावर ग्रिड प्रभावित हो सकते हैं। कुछ इलाकों में रेडियो ब्लैक आउट हो सकता है। तस्वीरें: Eduardo Schaberger Poupeau और unsplash.com से। नोट- पहली तस्वीर खबर से संबंधित, बाकी सभी सांकेतिक।