किसी तारे के भयंकर विस्फोट को सुपरनोवा कहते हैं। इस जबरदस्त धमाके से निकला प्रकाश और रेडीएशन पूरी आकाशगंगा को भी धुंधला कर देता है।
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सुपरनोवा अपनी चरमसीमा पर कुछ हफ्तो या महीनो में इतनी उर्जा प्रसारित कर सकता है, जितनी हमारा सूर्य अरबों साल के जीवनकाल में करेगा।
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सुपरनोवा के धमाके में सितारा अपने अधिकांश भाग को 30,000 किमी प्रति सेकंड (लाइट की स्पीड का 10%) तक की स्पीड से वातावरण में फेंकता है।
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तारा सूर्य के आकार से 10 गुना बड़ा भी हो सकता है। ये तारे विस्फोट के बाद तारकीय अवशेष का उत्पादन करते हैं और न्यूट्रॉन स्टार या ब्लैक होल बना सकते हैं।
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सुपरनोवा बनने का एक तरीका और है, जिसमें एक "व्हाइट ड्वार्फ तारा" अपने केंद्र में चक्कर लगा रहे साथी तारे से पदार्थ खींचता रहता है।
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ज्यादा पदार्थ इकट्ठा करने के कारण इसका द्रव्यमान बढ़ जाता है और ये इस व्हाइट ड्वॉर्फ के सुपरनोवा के रूप में फटने का कारण बनता है।
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सुपरनोवा को हमारी आकाशगंगा से नहीं देखा जा सकता। हालांकि, नासा द्वारा इसे देखने व स्टडी करने के लिए कई टेलीस्कोप यूज किए जाते हैं।
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नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप और चंद्र एक्स-रे वेधशाला दोनों ने सुपरनोवा के चित्र खिंचे हैं। 2012 में, नासा ने पहला ऑर्बिटिंग टेलीस्कोप लॉन्च किया था।
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