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वीजीए सेंसर से मेगापिक्सल का सफर, और अब देखते ही देखते रोटेटिंग कैमरा और पेंटा सेटअप। एक नज़र बदलती मोबाइल कैमरा टेक्नोलॉजी पर।
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आम हो चुकी इस तकनीक को आज भी किया जाता है पसंद। फोन के अंदर से कैमरे का ऊपर आना आकर्षक है और मल्टीमीडिया अनुभव भी बढ़ता है।
डिस्प्ले में छेद कर सेल्फी कैमरा को फिट करना आसान काम नहीं था, लेकिन 2019 में यह भी सच हो गया। यह टेक अब सभी ब्रांड्स का हिस्सा है।
दो कैमरा सेटअप की जरूरत को खत्म करती है रोटेटिंग कैमरा तकनीक। बैक कैमरा सेटअप को सेल्फी के लिए भी किया जा सकता है इस्तेमाल।
अब टेलीफोटो लेंस भी ट्रेंड बन गया है। 10x और 20x आम बात लग रही है, क्योंकि अब ज़ूम 100x तक पहुंच गया है।
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पहले नॉच, फिर पॉप-अप और अब होल-पंच, लेकिन तकनीक यहां कहां रुकने वाली है। अब दो सेल्फी कैमरों को भी छेद के अंदर सेट किया जा रहा है।
स्मार्टफोन कंपनियों का मन तीन या चार कैमरों के सेटअप से भरता नज़र आ रहा है, क्योंकि अब फोन के बैक में पांच कैमरे भी नज़र आ रहे हैं।
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फुल व्यू डिस्प्ले किसे नहीं पसंद और यदि पॉप-अप मोटर को भी हटा दिया जाए तो? लेकिन कैसे? डिस्प्ले के नीचे छिपा हुआ कैमरा लेटेस्ट तकनीक है।
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