एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के ध्रुवीय गड्ढों में वॉटर आइस (पानी की बर्फ) मिलने की उम्मीद जताई है।
स्टडी कहती है, दक्षिणी ध्रुवीय इलाकों की तुलना में उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में पानी की बर्फ दोगुनी है। स्टडी करने वालों में IIT कानपुर के रिसर्चर्स भी शामिल थे।
स्टडी से यह संकेत मिले हैं कि उत्तरी और दक्षिणी दोनों ध्रुवों में सतह पर मौजूद बर्फ की तुलना में उसकी उपसतह यानी सबसर्फेस में 5 से 8 गुना बर्फ हो सकती है।
थ्योरी के अनुसार चंद्रमा के ध्रुवों में सबसर्फेस पर मौजूद वॉटर आइस का मेन सोर्स इम्ब्रियन काल में ज्वालामुखीय एक्टिविटीज के दौरान गैसों का निकलना है।
अपने निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने 7 इंस्ट्रूमेंट्स के डेटा का इस्तेमाल किया। ये इंस्ट्रूमेंट्स नासा के लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर पर लगे हैं।
इसरो ने कहा है कि इस स्टडी से भविष्य में लैंडिंग साइट का चुनाव करना आसान हो जाएगा।
मिशन्स को उस एरिया में लैंड कराने की कोशिश होगी, जहां वॉटर आइस के संकेत हैं। SAC, ISRO की एक अन्य स्टडी को भी इस स्टडी ने सपोर्ट किया है।
उस स्टडी में पहले ही अनुमान लगाया जा चुका है कि चंद्रमा पर वॉटर आइस की मौजूदगी कुछ ध्रुवीय गड्ढों में हो सकती है।
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