स्मार्टफोन्स को फिंगरप्रिंट से अनलॉक करने के दिन जल्द ही पुराने होने वाले हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने इस संबंध में बड़ा दावा किया है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि सांस लेने के दौरान हवा में पैदा होने वाली टर्ब्युलन्स (हलचल) बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन के रूप में काम कर सकती है।
यानी कि सांसों के जरिए भी स्मार्ट डिवाइसेज को अनलॉक किया जा सकेगा।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मरे हुए इंसान के पर्सनल गैजेट्स को अनलॉक नहीं किया जा सकेगा।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, चेन्नै के महेश पंचाग्नुला और उनकी टीम ने अपने प्रयोगों से यह जानकारी जुटाई है।
टीम ने एयर प्रेशर सेंसर से रिकॉर्ड किए गए ब्रीदिंग डेटा के साथ प्रयोग किया।
रिसर्चर्स ने पाया कि AI मॉडल सब्जेक्ट के सांस के डेटा को एनालाइज कर लेता है, तो 97% एक्युरेसी से बताता है कि उस व्यक्ति ने नई सांस ली है या नहीं।
AI मॉडल दो लोगों की सांस में फर्क भी कर पाता है। मॉडल इंसान के सांस लेने के खास पैटर्न की पहचान करता है। हालांकि, यह प्रयोग अभी शुरुआती है।
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