सूर्य में हो रही गतिविधियां अपने चरम पर पहुंच रही हैं। यह 11 साल का पीरियड है, जिससे सूर्य गुजर रहा है।
दरअसल सूर्य के नॉर्थ और साउथ पोल अपनी जगह बदलते हैं, जिसे दोबारा स्विच करने में 11 साल लगते हैं।
इस अवधि के दौरान सूर्य से फ्लेयर्स निकलते हैं, जिनका असर पृथ्वी तक देखा जाता है।
कुछ ही दिन पहले सूर्य में बने एक सनस्पॉट एरिया ‘AR3663' से दो विशाल सौर ज्वालाएं उभरीं। उन्होंने पृथ्वी तक असर दिखाया।
पहला सौर विस्फोट 2 मई को हुआ था। इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया, जापान और चीन के तमाम हिस्सों में शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट हो गया।
पहला फ्लेयर कुल मिलाकर लगभग 25 मिनट तक चला। वहीं दूसरी सौर ज्वाला 3 मई को भड़की, जो M क्लास कैटिगरी का फ्लेयर था।
क्योंकि विस्फोट के समय सनस्पॉट का फोकस पृथ्वी की ओर था, इस वजह से हमारे ग्रह पर शॉर्ट वेव रेडियो ब्लैकआउट हुआ।
जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं।
सोलर फ्लेयर जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकता है। जिससे सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है।
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