आपने कई सिंगल-प्लेयर गेम्स खेले होंगे, जहां आप कई ऐसे काम करते हैं, जिनकी आपको आवश्यकता भी नहीं होती। एक नज़र ऐसी आदतों पर।
2000 के दशक में यह आदत आम थी। नया आइटम अनलॉक किया? सेव करो। बॉस को किल किया? सेव करो। यह आदत सुरक्षित महसूस कराती है।
गेम्स में अदृश्य सीमाएं होती हैं, जिनसे आगे जाना संभव नहीं, लेकिन हम उससे आगे जाने के लिए बिना बात के कूदते रहते हैं। कई बार घंटों बिता देते हैं।
कई गेम्स में जब आप बैरल या गमलों को तोड़ते हैं, तब आपको कीमती आइटम्स मिलते हैं। लेकिन ऐसा हर गेम में नहीं होता। फिर भी हम ऐसा करते हैं।
कई गेम्स में लॉक को तोड़ने या सिक्योरिटी सिस्टम को डैमेज करने के लिए उन्हें शूट करना होता है। हम यही काम हर गेम में करते हैं।
साथी को गोली मारने पर हमेशा एक डायलोग सुनने को मिलता है। इसे फिर सुनने के लिए आप अपने साथी को गोली मारने का मौका नहीं छोड़ते।
गेम में कटसीन देखना किसी को नहीं पसंद। इस चक्कर में हमेशा कटसीन के आते ही हम और आप कॉन्सोल के बटन को लगातार दबाते रहते हैं।
GTA जैसे ओपन वर्ल्ड गेम्स में ऐसा होता है, जहां आपको मिशन खत्म करना होता है। लेकिन आप कहीं और व्यस्त हो जाते हैं।
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